नारे नहीं, सेवा और अमन से करें पैग़ंबर से मोहब्बत साबित– भाजपा नेता सैयद अहसान अख़्तर

नारे नहीं, सेवा और अमन से करें पैग़ंबर से मोहब्बत साबित– भाजपा नेता सैयद अहसान अख़्तर

पटना। भाजपा नेता और समाजसेवी सैयद अहसान अख़्तर ने मुस्लिम समाज से शांति, भाईचारे और राष्ट्रप्रेम को प्राथमिकता देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पैग़ंबर मोहम्मद से मोहब्बत का असली सबूत न तो नारों में है और न ही विरोध-प्रदर्शनों में, बल्कि इंसानियत की सेवा और उनके बताए रास्ते पर चलने में है।

हाल के दिनों में “आई लव मोहम्मद” के नाम पर हो रहे प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए अख़्तर ने भावनात्मक आह्वान किया कि ऐसे कदम समाज में तनाव पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय देश में नवरात्रि और दुर्गा पूजा जैसे पर्व मनाए जा रहे हैं। ऐसे अवसर पर किसी भी प्रकार की अशांति देशहित के विपरीत होगी और इस्लाम के उस पैग़ाम को भी ठेस पहुँचाएगी, जो अमन और शांति का प्रतीक है।

अख़्तर ने कहा, “हम साथ हैं तो कायम हैं, बंटे तो मिट जाएंगे। पैग़ंबर की मोहब्बत नारे लगाने से नहीं, बल्कि सेवा, माफ़ी और भाईचारे को मजबूत करने से साबित होती है।”

समाज के लिए तीन अहम सुझाव

अख़्तर ने मुस्लिम समाज को तीन ठोस कदम उठाने का सुझाव दिया ताकि पैग़ंबर की मोहब्बत को व्यावहारिक रूप दिया जा सके:

  1. वतन से मोहब्बत – इसे ईमान का हिस्सा मानें और देशहित को सर्वोपरि रखें।
  2. जरूरतमंदों की सेवा – जो सक्षम हों, वे हर महीने कम से कम 50 ग़रीबों को खाना खिलाएँ।
  3. तालीम को प्राथमिकता – ग़रीब बच्चों की फीस अदा करें, क्योंकि कुरआन और हदीस दोनों में शिक्षा को फ़र्ज़ बताया गया है।

कुरान और नबी का पैग़ाम

भाजपा नेता ने कुरान की शिक्षाओं का हवाला देते हुए कहा कि ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की मदद सिर्फ़ सदक़ा नहीं, बल्कि निरंतर जिम्मेदारी है। उन्होंने कुरआन (17:70) का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि अल्लाह ने हर इंसान को इज़्ज़त बख़्शी है, चाहे उसका मज़हब, नस्ल या दर्जा कुछ भी हो।

उन्होंने यह भी बताया कि कुरआन में माफ़ी का ज़िक्र 234 बार और अमन का 44 बार किया गया है। नबी ने अपने जीवन में इस पैग़ाम को जिया। “उन्होंने उन लोगों को भी माफ़ किया जिन्होंने तकलीफ़ पहुँचाई—यहाँ तक कि जिन्होंने कचरा और पत्थर फेंके, उन्हें भी आपने माफ़ कर दिया। यही असली इस्लाम है,” अख़्तर ने कहा।

नारे पर नहीं, अमन पर जोर

अख़्तर का मानना है कि इस समय मुस्लिम समाज को नारों और विरोध से दूर रहकर सेवा, भाईचारे और राष्ट्रप्रेम को आगे बढ़ाना चाहिए। “ग़ुस्से पर माफ़ी, झगड़े पर अमन, नारे पर सेवा और बंटवारे पर एकता—यही पैग़ंबर का रास्ता है। हमें इसी पर चलना चाहिए,” उन्होंने कहा।

एकता और इंसानियत का संदेश

अपने संदेश के अंत में सैयद अहसान अख़्तर ने कहा कि पैग़ंबर की असली मोहब्बत तभी साबित होगी जब हम इंसानियत की सेवा करें, अमन कायम रखें और अपने मुल्क से सच्चा प्यार करें। उन्होंने सभी धर्मों के लोगों से भी आपसी सम्मान और भाईचारे को मजबूत करने की अपील की।

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